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  • Дата створення: 2017-08-02
  • Дата оновлення: 2024-03-23
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Crazy XYZ Rp4W2DvKDbM कुरान मैं हिन्दुओ के बारे क्या लिखा है 1) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 5) जब रमजान का महीना बीत जाये तो जो लोग अल्लाह को नही मानते (मुशरिक) वो जहा भी मिले उनका कत्ल करो, उन्हें पकड़ो और जब अगर उन्होने इस्लाम कबूल कर लिया यो उन्हें छोड़ दो 2) (सूरा 9 अत-तौबा आयत 28) - मुशरिक (अल्लाह के सिवाय दूसरे ईश्वर को पूज्य मानने वाले दूसरे धर्म के लोग) तो बस अपवित्र ही है 3) (सूरा 9 अन-निसा :आयत 101) - दूसरे धर्म को मनाने वाले मुसलमानो के खुले शत्रु है 4)(सूरा 9 अत-तौबा :आयत 123) - जो दूसरे धर्म को मनाने वालो लोग तुम्हारे पास है उनके के साथ लडो 5)(सूरा 4 अन-निसा :आयत 56) - जिन लोगों ने कुरान की आयतों का इनकार किया है,उन्हें आग में झोंको। जब तब की उनकी खाल पक जाएँ ताकि उनकी यातना का मज़ा हम लेते रहे 6) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 23) - अल्लाह को मनाने वालो. अपने बाप और अपने भाइयों को अपने मित्र न बनाओ यदि उन्हें अल्लाह को मनाने वालो के मुक़ाबले दूसरे धर्म को मानने वाले लोग प्रिय हो। तुममें से जो कोई उन्हें अपना मित्र बनाएगा, तो ऐसे ही लोग अत्याचारी होंगे 7) (सूरा 5 अल-माइदा :आयत 57) - अल्लाह को मनाने वालो! तुमसे पहले जिनको किताब दी गई थी, जिन्होंने तुम्हारे धर्म को हँसी-खेल बना लिया है, उन्हें और इनकार करनेवालों को अपना मित्र न बनाओ 8) (सूरा 33 अल-अहजाब :आयत 61)- जहाँ कही विधर्मी पाए गए पकड़े जाएँगे और बुरी तरह जान से मारे जाएँगे 9) (सूरा 21 अल-अंबिया :आयत 98) - जो अल्लाह को छोड़कर दूसरे धर्म पर विश्वास करते है वो सब जहन्नम के ईंधन है. तुम उनको मौत के घाट उतारो 10) (सूरा 32 अस-सजदा :आयत 22)- जो कुरान की आयतें नही मानते वो अपराधी है. तुम जाकर उन अपराधियो से बदला लो 12) (सूरा 8 अल-अनफाल :आयत 69) - काफिरों को मारकर जो लूट का माल महिलाओं( काफिरों की बहन बेटियां) सहित तुमने प्राप्त किया है, उसे वैध-पवित्र समझकर खाओ 13) (सूरा 41 फुस्सीलत :आयत 27) - अतः हम अवश्य ही उन लोगों को, जिन्होंने इस्लाम को स्वीकार करने से इनकार किया है, उन्हें कठोर यातना का मजा चखाएँगे, 14) (सूरा 41 फुस्सीलत :आयत 28) - अल्लाह को ना मनाने वाले विधर्मी लोगो को आग मै जला दो 15) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 111)- अल्लाह को मनाने वालो से उनके प्राण और उनके माल इसके बदले में खरीद लिए है कि उनके लिए जन्नत है. वे अल्लाह के मार्ग में लड़ते है, तो वे मारते भी है और मारे भी जाते है। 16) (सूरा 8 अल-अनफाल : आयत 65 )- ऐ अल्लाह को मानने वालो. सभी मुसलमान जिहाद करो. यदि 20 मुसलमान आदमी जमा होंगे तो वो 100 काफिर (अल्लाह को ना मानने वाले) के बराबर है. काफिर नासमझ है 17) (सूरा 5 अल-माइदा :आयत 51) - ऐ अल्लाह को मनाने वालो. तुम यहूदियों और ईसाइयों को अपना मित्र न बनाओ। वे तुम्हारे विरुद्ध परस्पर एक-दूसरे के मित्र है.जो कोई मुसलामन उनको अपना मित्र बनाएगा,वह उन्हीं लोगों में से होगा। निस्संदेह अल्लाह ऐसे मुसलानो को मार्ग नहीं दिखाता 18) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 29) -जो अल्लाह पर भरोसा नही रखते है और अल्लाह के रसूल को हराम ठहराते है ऐसे काफिर (दुसरे धर्म के लोग) लोगो से लडो और जहा पर भी वो सत्ता कर रहे है उनको सत्ता से बाहर निकालो. और जहा पर तुम राज कर रहे हो वहां पर काफिरो से जिज्या वसूल करो 19) (सूरा 4 अन-निसा :आयत 8) - अधर्मी (अल्लाह को ना मनाने वाले सब लोग) लोग चाहते है सभी मुसलमान अधर्मी बन जाये. कोई भी मुसलमान ऐसे अधर्मी लोगो को अपना मित्र ना बनाओ. जब तक कि वो अल्लाह को ना माने. और वो इस्लाम कबूल ने से मना कर देतो उन्हें कत्ल करो. विधर्मी लोग कभी मुसलमान के ना मित्र होते ना सहायक 20) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 14) - उनसे (विधर्मी से) लड़ो। अल्लाह तुम्हारे हाथों से उन्हें यातना देगा और उन्हें अपमानित करेगा और उनके मुक़ाबले में वह तुम्हारी सहायता करेगा। और ईमानवाले लोगों के दिलों का दुखमोचन करेगा 21) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 14)- अल्लाह को ना मानने वाले काफिरो से लडो उन्हें अपमानित करो. इस कार्य मैं अल्लाह तुम्हारी मदत करेगा 22)(सूरा 9 अत-तौबा :आयत 37)- अल्लाह को ना मनाने वाले लोगो को अल्लाह रास्ता नही दिखाता 23) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 68) - अल्लाह को ना मानने पुरूष और स्त्रियां जहन्नम के आग मैं जलेगी. और जहन्नम मैं सदा ही रहेंगे 24) (सूरा 5 अल-माइदा :आयत 14) -ईसाई लोगो के बीच मैं शत्रुता और द्वेष की भावना भड़का दो. वो इस्लाम के शत्रु है 25) (सूरा 3 अल-ए-इमरान आयत 28) - अल्लाह को ना मानने वालो को अपना मित्र ना बनाओ. औऱ जो ऐसे लोगो को अपना मित्र बनायेगा वो उसका अल्लाह से कोई संबंध नही रहेगा 26) (सूरा 8 अल-अनफाल आयत 7) - अल्लाह को ना मानने वालों की जड़े काट दो 27) (सूरा 8 अल-अनफाल आयत 13) -जो कोई अल्लाह और कुरान का विरोध करने वालों को कठोर यातना दो 28) (सूरा 8 अल-अनफाल आयत 14) - अल्लाह को ना मनाने वालो को आग मैं झोंक दो. . 0 1 2022-08-27 07:04:23
ABP NEWS 1bMRHVuA1Z0 जब हम लोगों को पीड़ित देखते हैं तो दुख होना स्वाभाविक है, लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि ये वही लोग हैं जो हमारे देश को गाली देने और किसी भी तरह से नुकसान पहुंचाने में दोबारा नहीं सोचेंगे। 5 0 2022-08-30 06:53:38
ABP NEWS 1bMRHVuA1Z0 कुरान मैं हिन्दुओ के बारे क्या लिखा है 1) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 5) जब रमजान का महीना बीत जाये तो जो लोग अल्लाह को नही मानते (मुशरिक) वो जहा भी मिले उनका कत्ल करो, उन्हें पकड़ो और जब अगर उन्होने इस्लाम कबूल कर लिया यो उन्हें छोड़ दो 2) (सूरा 9 अत-तौबा आयत 28) - मुशरिक (अल्लाह के सिवाय दूसरे ईश्वर को पूज्य मानने वाले दूसरे धर्म के लोग) तो बस अपवित्र ही है 3) (सूरा 9 अन-निसा :आयत 101) - दूसरे धर्म को मनाने वाले मुसलमानो के खुले शत्रु है 4)(सूरा 9 अत-तौबा :आयत 123) - जो दूसरे धर्म को मनाने वालो लोग तुम्हारे पास है उनके के साथ लडो 5)(सूरा 4 अन-निसा :आयत 56) - जिन लोगों ने कुरान की आयतों का इनकार किया है,उन्हें आग में झोंको। जब तब की उनकी खाल पक जाएँ ताकि उनकी यातना का मज़ा हम लेते रहे 6) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 23) - अल्लाह को मनाने वालो. अपने बाप और अपने भाइयों को अपने मित्र न बनाओ यदि उन्हें अल्लाह को मनाने वालो के मुक़ाबले दूसरे धर्म को मानने वाले लोग प्रिय हो। तुममें से जो कोई उन्हें अपना मित्र बनाएगा, तो ऐसे ही लोग अत्याचारी होंगे 7) (सूरा 5 अल-माइदा :आयत 57) - अल्लाह को मनाने वालो! तुमसे पहले जिनको किताब दी गई थी, जिन्होंने तुम्हारे धर्म को हँसी-खेल बना लिया है, उन्हें और इनकार करनेवालों को अपना मित्र न बनाओ 8) (सूरा 33 अल-अहजाब :आयत 61)- जहाँ कही विधर्मी पाए गए पकड़े जाएँगे और बुरी तरह जान से मारे जाएँगे 9) (सूरा 21 अल-अंबिया :आयत 98) - जो अल्लाह को छोड़कर दूसरे धर्म पर विश्वास करते है वो सब जहन्नम के ईंधन है. तुम उनको मौत के घाट उतारो 10) (सूरा 32 अस-सजदा :आयत 22)- जो कुरान की आयतें नही मानते वो अपराधी है. तुम जाकर उन अपराधियो से बदला लो 12) (सूरा 8 अल-अनफाल :आयत 69) - काफिरों को मारकर जो लूट का माल महिलाओं( काफिरों की बहन बेटियां) सहित तुमने प्राप्त किया है, उसे वैध-पवित्र समझकर खाओ 13) (सूरा 41 फुस्सीलत :आयत 27) - अतः हम अवश्य ही उन लोगों को, जिन्होंने इस्लाम को स्वीकार करने से इनकार किया है, उन्हें कठोर यातना का मजा चखाएँगे, 14) (सूरा 41 फुस्सीलत :आयत 28) - अल्लाह को ना मनाने वाले विधर्मी लोगो को आग मै जला दो 15) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 111)- अल्लाह को मनाने वालो से उनके प्राण और उनके माल इसके बदले में खरीद लिए है कि उनके लिए जन्नत है. वे अल्लाह के मार्ग में लड़ते है, तो वे मारते भी है और मारे भी जाते है। 16) (सूरा 8 अल-अनफाल : आयत 65 )- ऐ अल्लाह को मानने वालो. सभी मुसलमान जिहाद करो. यदि 20 मुसलमान आदमी जमा होंगे तो वो 100 काफिर (अल्लाह को ना मानने वाले) के बराबर है. काफिर नासमझ है 17) (सूरा 5 अल-माइदा :आयत 51) - ऐ अल्लाह को मनाने वालो. तुम यहूदियों और ईसाइयों को अपना मित्र न बनाओ। वे तुम्हारे विरुद्ध परस्पर एक-दूसरे के मित्र है.जो कोई मुसलामन उनको अपना मित्र बनाएगा,वह उन्हीं लोगों में से होगा। निस्संदेह अल्लाह ऐसे मुसलानो को मार्ग नहीं दिखाता 18) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 29) -जो अल्लाह पर भरोसा नही रखते है और अल्लाह के रसूल को हराम ठहराते है ऐसे काफिर (दुसरे धर्म के लोग) लोगो से लडो और जहा पर भी वो सत्ता कर रहे है उनको सत्ता से बाहर निकालो. और जहा पर तुम राज कर रहे हो वहां पर काफिरो से जिज्या वसूल करो 19) (सूरा 4 अन-निसा :आयत 8) - अधर्मी (अल्लाह को ना मनाने वाले सब लोग) लोग चाहते है सभी मुसलमान अधर्मी बन जाये. कोई भी मुसलमान ऐसे अधर्मी लोगो को अपना मित्र ना बनाओ. जब तक कि वो अल्लाह को ना माने. और वो इस्लाम कबूल ने से मना कर देतो उन्हें कत्ल करो. विधर्मी लोग कभी मुसलमान के ना मित्र होते ना सहायक 20) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 14) - उनसे (विधर्मी से) लड़ो। अल्लाह तुम्हारे हाथों से उन्हें यातना देगा और उन्हें अपमानित करेगा और उनके मुक़ाबले में वह तुम्हारी सहायता करेगा। और ईमानवाले लोगों के दिलों का दुखमोचन करेगा 21) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 14)- अल्लाह को ना मानने वाले काफिरो से लडो उन्हें अपमानित करो. इस कार्य मैं अल्लाह तुम्हारी मदत करेगा 22)(सूरा 9 अत-तौबा :आयत 37)- अल्लाह को ना मनाने वाले लोगो को अल्लाह रास्ता नही दिखाता 23) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 68) - अल्लाह को ना मानने पुरूष और स्त्रियां जहन्नम के आग मैं जलेगी. और जहन्नम मैं सदा ही रहेंगे 24) (सूरा 5 अल-माइदा :आयत 14) -ईसाई लोगो के बीच मैं शत्रुता और द्वेष की भावना भड़का दो. वो इस्लाम के शत्रु है 25) (सूरा 3 अल-ए-इमरान आयत 28) - अल्लाह को ना मानने वालो को अपना मित्र ना बनाओ. औऱ जो ऐसे लोगो को अपना मित्र बनायेगा वो उसका अल्लाह से कोई संबंध नही रहेगा 26) (सूरा 8 अल-अनफाल आयत 7) - अल्लाह को ना मानने वालों की जड़े काट दो 27) (सूरा 8 अल-अनफाल आयत 13) -जो कोई अल्लाह और कुरान का विरोध करने वालों को कठोर यातना दो 28) (सूरा 8 अल-अनफाल आयत 14) - अल्लाह को ना मनाने वालो को आग मैं झोंक दो/...... 1 0 2022-08-30 06:54:42
SonyMusicSouthVEVO pn6M7_L1JbQ कुरान मैं हिन्दुओ के बारे क्या लिखा है 1) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 5) जब रमजान का महीना बीत जाये तो जो लोग अल्लाह को नही मानते (मुशरिक) वो जहा भी मिले उनका कत्ल करो, उन्हें पकड़ो और जब अगर उन्होने इस्लाम कबूल कर लिया यो उन्हें छोड़ दो 2) (सूरा 9 अत-तौबा आयत 28) - मुशरिक (अल्लाह के सिवाय दूसरे ईश्वर को पूज्य मानने वाले दूसरे धर्म के लोग) तो बस अपवित्र ही है 3) (सूरा 9 अन-निसा :आयत 101) - दूसरे धर्म को मनाने वाले मुसलमानो के खुले शत्रु है 4)(सूरा 9 अत-तौबा :आयत 123) - जो दूसरे धर्म को मनाने वालो लोग तुम्हारे पास है उनके के साथ लडो 5)(सूरा 4 अन-निसा :आयत 56) - जिन लोगों ने कुरान की आयतों का इनकार किया है,उन्हें आग में झोंको। जब तब की उनकी खाल पक जाएँ ताकि उनकी यातना का मज़ा हम लेते रहे 6) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 23) - अल्लाह को मनाने वालो. अपने बाप और अपने भाइयों को अपने मित्र न बनाओ यदि उन्हें अल्लाह को मनाने वालो के मुक़ाबले दूसरे धर्म को मानने वाले लोग प्रिय हो। तुममें से जो कोई उन्हें अपना मित्र बनाएगा, तो ऐसे ही लोग अत्याचारी होंगे 7) (सूरा 5 अल-माइदा :आयत 57) - अल्लाह को मनाने वालो! तुमसे पहले जिनको किताब दी गई थी, जिन्होंने तुम्हारे धर्म को हँसी-खेल बना लिया है, उन्हें और इनकार करनेवालों को अपना मित्र न बनाओ 8) (सूरा 33 अल-अहजाब :आयत 61)- जहाँ कही विधर्मी पाए गए पकड़े जाएँगे और बुरी तरह जान से मारे जाएँगे 9) (सूरा 21 अल-अंबिया :आयत 98) - जो अल्लाह को छोड़कर दूसरे धर्म पर विश्वास करते है वो सब जहन्नम के ईंधन है. तुम उनको मौत के घाट उतारो 10) (सूरा 32 अस-सजदा :आयत 22)- जो कुरान की आयतें नही मानते वो अपराधी है. तुम जाकर उन अपराधियो से बदला लो 12) (सूरा 8 अल-अनफाल :आयत 69) - काफिरों को मारकर जो लूट का माल महिलाओं( काफिरों की बहन बेटियां) सहित तुमने प्राप्त किया है, उसे वैध-पवित्र समझकर खाओ 13) (सूरा 41 फुस्सीलत :आयत 27) - अतः हम अवश्य ही उन लोगों को, जिन्होंने इस्लाम को स्वीकार करने से इनकार किया है, उन्हें कठोर यातना का मजा चखाएँगे, 14) (सूरा 41 फुस्सीलत :आयत 28) - अल्लाह को ना मनाने वाले विधर्मी लोगो को आग मै जला दो 15) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 111)- अल्लाह को मनाने वालो से उनके प्राण और उनके माल इसके बदले में खरीद लिए है कि उनके लिए जन्नत है. वे अल्लाह के मार्ग में लड़ते है, तो वे मारते भी है और मारे भी जाते है। 16) (सूरा 8 अल-अनफाल : आयत 65 )- ऐ अल्लाह को मानने वालो. सभी मुसलमान जिहाद करो. यदि 20 मुसलमान आदमी जमा होंगे तो वो 100 काफिर (अल्लाह को ना मानने वाले) के बराबर है. काफिर नासमझ है 17) (सूरा 5 अल-माइदा :आयत 51) - ऐ अल्लाह को मनाने वालो. तुम यहूदियों और ईसाइयों को अपना मित्र न बनाओ। वे तुम्हारे विरुद्ध परस्पर एक-दूसरे के मित्र है.जो कोई मुसलामन उनको अपना मित्र बनाएगा,वह उन्हीं लोगों में से होगा। निस्संदेह अल्लाह ऐसे मुसलानो को मार्ग नहीं दिखाता 18) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 29) -जो अल्लाह पर भरोसा नही रखते है और अल्लाह के रसूल को हराम ठहराते है ऐसे काफिर (दुसरे धर्म के लोग) लोगो से लडो और जहा पर भी वो सत्ता कर रहे है उनको सत्ता से बाहर निकालो. और जहा पर तुम राज कर रहे हो वहां पर काफिरो से जिज्या वसूल करो 19) (सूरा 4 अन-निसा :आयत 8) - अधर्मी (अल्लाह को ना मनाने वाले सब लोग) लोग चाहते है सभी मुसलमान अधर्मी बन जाये. कोई भी मुसलमान ऐसे अधर्मी लोगो को अपना मित्र ना बनाओ. जब तक कि वो अल्लाह को ना माने. और वो इस्लाम कबूल ने से मना कर देतो उन्हें कत्ल करो. विधर्मी लोग कभी मुसलमान के ना मित्र होते ना सहायक 20) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 14) - उनसे (विधर्मी से) लड़ो। अल्लाह तुम्हारे हाथों से उन्हें यातना देगा और उन्हें अपमानित करेगा और उनके मुक़ाबले में वह तुम्हारी सहायता करेगा। और ईमानवाले लोगों के दिलों का दुखमोचन करेगा 21) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 14)- अल्लाह को ना मानने वाले काफिरो से लडो उन्हें अपमानित करो. इस कार्य मैं अल्लाह तुम्हारी मदत करेगा 22)(सूरा 9 अत-तौबा :आयत 37)- अल्लाह को ना मनाने वाले लोगो को अल्लाह रास्ता नही दिखाता 23) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 68) - अल्लाह को ना मानने पुरूष और स्त्रियां जहन्नम के आग मैं जलेगी. और जहन्नम मैं सदा ही रहेंगे 24) (सूरा 5 अल-माइदा :आयत 14) -ईसाई लोगो के बीच मैं शत्रुता और द्वेष की भावना भड़का दो. वो इस्लाम के शत्रु है 25) (सूरा 3 अल-ए-इमरान आयत 28) - अल्लाह को ना मानने वालो को अपना मित्र ना बनाओ. औऱ जो ऐसे लोगो को अपना मित्र बनायेगा वो उसका अल्लाह से कोई संबंध नही रहेगा 26) (सूरा 8 अल-अनफाल आयत 7) - अल्लाह को ना मानने वालों की जड़े काट दो 27) (सूरा 8 अल-अनफाल आयत 13) -जो कोई अल्लाह और कुरान का विरोध करने वालों को कठोर यातना दो 28) (सूरा 8 अल-अनफाल आयत 14) - अल्लाह को ना मनाने वालो को आग मैं झोंक दो. . 1 0 2022-08-24 05:54:12
SonyMusicSouthVEVO pn6M7_L1JbQ कुरान मैं हिन्दुओ के बारे क्या लिखा है 1) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 5) जब रमजान का महीना बीत जाये तो जो लोग अल्लाह को नही मानते (मुशरिक) वो जहा भी मिले उनका कत्ल करो, उन्हें पकड़ो और जब अगर उन्होने इस्लाम कबूल कर लिया यो उन्हें छोड़ दो 2) (सूरा 9 अत-तौबा आयत 28) - मुशरिक (अल्लाह के सिवाय दूसरे ईश्वर को पूज्य मानने वाले दूसरे धर्म के लोग) तो बस अपवित्र ही है 3) (सूरा 9 अन-निसा :आयत 101) - दूसरे धर्म को मनाने वाले मुसलमानो के खुले शत्रु है 4)(सूरा 9 अत-तौबा :आयत 123) - जो दूसरे धर्म को मनाने वालो लोग तुम्हारे पास है उनके के साथ लडो 5)(सूरा 4 अन-निसा :आयत 56) - जिन लोगों ने कुरान की आयतों का इनकार किया है,उन्हें आग में झोंको। जब तब की उनकी खाल पक जाएँ ताकि उनकी यातना का मज़ा हम लेते रहे 6) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 23) - अल्लाह को मनाने वालो. अपने बाप और अपने भाइयों को अपने मित्र न बनाओ यदि उन्हें अल्लाह को मनाने वालो के मुक़ाबले दूसरे धर्म को मानने वाले लोग प्रिय हो। तुममें से जो कोई उन्हें अपना मित्र बनाएगा, तो ऐसे ही लोग अत्याचारी होंगे 7) (सूरा 5 अल-माइदा :आयत 57) - अल्लाह को मनाने वालो! तुमसे पहले जिनको किताब दी गई थी, जिन्होंने तुम्हारे धर्म को हँसी-खेल बना लिया है, उन्हें और इनकार करनेवालों को अपना मित्र न बनाओ 8) (सूरा 33 अल-अहजाब :आयत 61)- जहाँ कही विधर्मी पाए गए पकड़े जाएँगे और बुरी तरह जान से मारे जाएँगे 9) (सूरा 21 अल-अंबिया :आयत 98) - जो अल्लाह को छोड़कर दूसरे धर्म पर विश्वास करते है वो सब जहन्नम के ईंधन है. तुम उनको मौत के घाट उतारो 10) (सूरा 32 अस-सजदा :आयत 22)- जो कुरान की आयतें नही मानते वो अपराधी है. तुम जाकर उन अपराधियो से बदला लो 12) (सूरा 8 अल-अनफाल :आयत 69) - काफिरों को मारकर जो लूट का माल महिलाओं( काफिरों की बहन बेटियां) सहित तुमने प्राप्त किया है, उसे वैध-पवित्र समझकर खाओ 13) (सूरा 41 फुस्सीलत :आयत 27) - अतः हम अवश्य ही उन लोगों को, जिन्होंने इस्लाम को स्वीकार करने से इनकार किया है, उन्हें कठोर यातना का मजा चखाएँगे, 14) (सूरा 41 फुस्सीलत :आयत 28) - अल्लाह को ना मनाने वाले विधर्मी लोगो को आग मै जला दो 15) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 111)- अल्लाह को मनाने वालो से उनके प्राण और उनके माल इसके बदले में खरीद लिए है कि उनके लिए जन्नत है. वे अल्लाह के मार्ग में लड़ते है, तो वे मारते भी है और मारे भी जाते है। 16) (सूरा 8 अल-अनफाल : आयत 65 )- ऐ अल्लाह को मानने वालो. सभी मुसलमान जिहाद करो. यदि 20 मुसलमान आदमी जमा होंगे तो वो 100 काफिर (अल्लाह को ना मानने वाले) के बराबर है. काफिर नासमझ है 17) (सूरा 5 अल-माइदा :आयत 51) - ऐ अल्लाह को मनाने वालो. तुम यहूदियों और ईसाइयों को अपना मित्र न बनाओ। वे तुम्हारे विरुद्ध परस्पर एक-दूसरे के मित्र है.जो कोई मुसलामन उनको अपना मित्र बनाएगा,वह उन्हीं लोगों में से होगा। निस्संदेह अल्लाह ऐसे मुसलानो को मार्ग नहीं दिखाता 18) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 29) -जो अल्लाह पर भरोसा नही रखते है और अल्लाह के रसूल को हराम ठहराते है ऐसे काफिर (दुसरे धर्म के लोग) लोगो से लडो और जहा पर भी वो सत्ता कर रहे है उनको सत्ता से बाहर निकालो. और जहा पर तुम राज कर रहे हो वहां पर काफिरो से जिज्या वसूल करो 19) (सूरा 4 अन-निसा :आयत 8) - अधर्मी (अल्लाह को ना मनाने वाले सब लोग) लोग चाहते है सभी मुसलमान अधर्मी बन जाये. कोई भी मुसलमान ऐसे अधर्मी लोगो को अपना मित्र ना बनाओ. जब तक कि वो अल्लाह को ना माने. और वो इस्लाम कबूल ने से मना कर देतो उन्हें कत्ल करो. विधर्मी लोग कभी मुसलमान के ना मित्र होते ना सहायक 20) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 14) - उनसे (विधर्मी से) लड़ो। अल्लाह तुम्हारे हाथों से उन्हें यातना देगा और उन्हें अपमानित करेगा और उनके मुक़ाबले में वह तुम्हारी सहायता करेगा। और ईमानवाले लोगों के दिलों का दुखमोचन करेगा 21) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 14)- अल्लाह को ना मानने वाले काफिरो से लडो उन्हें अपमानित करो. इस कार्य मैं अल्लाह तुम्हारी मदत करेगा 22)(सूरा 9 अत-तौबा :आयत 37)- अल्लाह को ना मनाने वाले लोगो को अल्लाह रास्ता नही दिखाता 23) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 68) - अल्लाह को ना मानने पुरूष और स्त्रियां जहन्नम के आग मैं जलेगी. और जहन्नम मैं सदा ही रहेंगे 24) (सूरा 5 अल-माइदा :आयत 14) -ईसाई लोगो के बीच मैं शत्रुता और द्वेष की भावना भड़का दो. वो इस्लाम के शत्रु है 25) (सूरा 3 अल-ए-इमरान आयत 28) - अल्लाह को ना मानने वालो को अपना मित्र ना बनाओ. औऱ जो ऐसे लोगो को अपना मित्र बनायेगा वो उसका अल्लाह से कोई संबंध नही रहेगा 26) (सूरा 8 अल-अनफाल आयत 7) - अल्लाह को ना मानने वालों की जड़े काट दो 27) (सूरा 8 अल-अनफाल आयत 13) -जो कोई अल्लाह और कुरान का विरोध करने वालों को कठोर यातना दो 28) (सूरा 8 अल-अनफाल आयत 14) - अल्लाह को ना मनाने वालो को आग मैं झोंक दो. . 1 0 2022-08-24 05:54:22
Zee News bHyAB_oXI34 कुरान मैं हिन्दुओ के बारे क्या लिखा है 1) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 5) जब रमजान का महीना बीत जाये तो जो लोग अल्लाह को नही मानते (मुशरिक) वो जहा भी मिले उनका कत्ल करो, उन्हें पकड़ो और जब अगर उन्होने इस्लाम कबूल कर लिया यो उन्हें छोड़ दो 2) (सूरा 9 अत-तौबा आयत 28) - मुशरिक (अल्लाह के सिवाय दूसरे ईश्वर को पूज्य मानने वाले दूसरे धर्म के लोग) तो बस अपवित्र ही है 3) (सूरा 9 अन-निसा :आयत 101) - दूसरे धर्म को मनाने वाले मुसलमानो के खुले शत्रु है 4)(सूरा 9 अत-तौबा :आयत 123) - जो दूसरे धर्म को मनाने वालो लोग तुम्हारे पास है उनके के साथ लडो 5)(सूरा 4 अन-निसा :आयत 56) - जिन लोगों ने कुरान की आयतों का इनकार किया है,उन्हें आग में झोंको। जब तब की उनकी खाल पक जाएँ ताकि उनकी यातना का मज़ा हम लेते रहे 6) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 23) - अल्लाह को मनाने वालो. अपने बाप और अपने भाइयों को अपने मित्र न बनाओ यदि उन्हें अल्लाह को मनाने वालो के मुक़ाबले दूसरे धर्म को मानने वाले लोग प्रिय हो। तुममें से जो कोई उन्हें अपना मित्र बनाएगा, तो ऐसे ही लोग अत्याचारी होंगे 7) (सूरा 5 अल-माइदा :आयत 57) - अल्लाह को मनाने वालो! तुमसे पहले जिनको किताब दी गई थी, जिन्होंने तुम्हारे धर्म को हँसी-खेल बना लिया है, उन्हें और इनकार करनेवालों को अपना मित्र न बनाओ 8) (सूरा 33 अल-अहजाब :आयत 61)- जहाँ कही विधर्मी पाए गए पकड़े जाएँगे और बुरी तरह जान से मारे जाएँगे 9) (सूरा 21 अल-अंबिया :आयत 98) - जो अल्लाह को छोड़कर दूसरे धर्म पर विश्वास करते है वो सब जहन्नम के ईंधन है. तुम उनको मौत के घाट उतारो 10) (सूरा 32 अस-सजदा :आयत 22)- जो कुरान की आयतें नही मानते वो अपराधी है. तुम जाकर उन अपराधियो से बदला लो 12) (सूरा 8 अल-अनफाल :आयत 69) - काफिरों को मारकर जो लूट का माल महिलाओं( काफिरों की बहन बेटियां) सहित तुमने प्राप्त किया है, उसे वैध-पवित्र समझकर खाओ 13) (सूरा 41 फुस्सीलत :आयत 27) - अतः हम अवश्य ही उन लोगों को, जिन्होंने इस्लाम को स्वीकार करने से इनकार किया है, उन्हें कठोर यातना का मजा चखाएँगे, 14) (सूरा 41 फुस्सीलत :आयत 28) - अल्लाह को ना मनाने वाले विधर्मी लोगो को आग मै जला दो 15) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 111)- अल्लाह को मनाने वालो से उनके प्राण और उनके माल इसके बदले में खरीद लिए है कि उनके लिए जन्नत है. वे अल्लाह के मार्ग में लड़ते है, तो वे मारते भी है और मारे भी जाते है। 16) (सूरा 8 अल-अनफाल : आयत 65 )- ऐ अल्लाह को मानने वालो. सभी मुसलमान जिहाद करो. यदि 20 मुसलमान आदमी जमा होंगे तो वो 100 काफिर (अल्लाह को ना मानने वाले) के बराबर है. काफिर नासमझ है 17) (सूरा 5 अल-माइदा :आयत 51) - ऐ अल्लाह को मनाने वालो. तुम यहूदियों और ईसाइयों को अपना मित्र न बनाओ। वे तुम्हारे विरुद्ध परस्पर एक-दूसरे के मित्र है.जो कोई मुसलामन उनको अपना मित्र बनाएगा,वह उन्हीं लोगों में से होगा। निस्संदेह अल्लाह ऐसे मुसलानो को मार्ग नहीं दिखाता 18) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 29) -जो अल्लाह पर भरोसा नही रखते है और अल्लाह के रसूल को हराम ठहराते है ऐसे काफिर (दुसरे धर्म के लोग) लोगो से लडो और जहा पर भी वो सत्ता कर रहे है उनको सत्ता से बाहर निकालो. और जहा पर तुम राज कर रहे हो वहां पर काफिरो से जिज्या वसूल करो 19) (सूरा 4 अन-निसा :आयत 8) - अधर्मी (अल्लाह को ना मनाने वाले सब लोग) लोग चाहते है सभी मुसलमान अधर्मी बन जाये. कोई भी मुसलमान ऐसे अधर्मी लोगो को अपना मित्र ना बनाओ. जब तक कि वो अल्लाह को ना माने. और वो इस्लाम कबूल ने से मना कर देतो उन्हें कत्ल करो. विधर्मी लोग कभी मुसलमान के ना मित्र होते ना सहायक 20) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 14) - उनसे (विधर्मी से) लड़ो। अल्लाह तुम्हारे हाथों से उन्हें यातना देगा और उन्हें अपमानित करेगा और उनके मुक़ाबले में वह तुम्हारी सहायता करेगा। और ईमानवाले लोगों के दिलों का दुखमोचन करेगा 21) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 14)- अल्लाह को ना मानने वाले काफिरो से लडो उन्हें अपमानित करो. इस कार्य मैं अल्लाह तुम्हारी मदत करेगा 22)(सूरा 9 अत-तौबा :आयत 37)- अल्लाह को ना मनाने वाले लोगो को अल्लाह रास्ता नही दिखाता 23) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 68) - अल्लाह को ना मानने पुरूष और स्त्रियां जहन्नम के आग मैं जलेगी. और जहन्नम मैं सदा ही रहेंगे 24) (सूरा 5 अल-माइदा :आयत 14) -ईसाई लोगो के बीच मैं शत्रुता और द्वेष की भावना भड़का दो. वो इस्लाम के शत्रु है 25) (सूरा 3 अल-ए-इमरान आयत 28) - अल्लाह को ना मानने वालो को अपना मित्र ना बनाओ. औऱ जो ऐसे लोगो को अपना मित्र बनायेगा वो उसका अल्लाह से कोई संबंध नही रहेगा 26) (सूरा 8 अल-अनफाल आयत 7) - अल्लाह को ना मानने वालों की जड़े काट दो 27) (सूरा 8 अल-अनफाल आयत 13) -जो कोई अल्लाह और कुरान का विरोध करने वालों को कठोर यातना दो 28) (सूरा 8 अल-अनफाल आयत 14) - अल्लाह को ना मनाने वालो को आग मैं झोंक दो..... 0 0 2022-08-26 07:12:07
Crazy XYZ Rp4W2DvKDbM कुरान मैं हिन्दुओ के बारे क्या लिखा है 1) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 5) जब रमजान का महीना बीत जाये तो जो लोग अल्लाह को नही मानते (मुशरिक) वो जहा भी मिले उनका कत्ल करो, उन्हें पकड़ो और जब अगर उन्होने इस्लाम कबूल कर लिया यो उन्हें छोड़ दो 2) (सूरा 9 अत-तौबा आयत 28) - मुशरिक (अल्लाह के सिवाय दूसरे ईश्वर को पूज्य मानने वाले दूसरे धर्म के लोग) तो बस अपवित्र ही है 3) (सूरा 9 अन-निसा :आयत 101) - दूसरे धर्म को मनाने वाले मुसलमानो के खुले शत्रु है 4)(सूरा 9 अत-तौबा :आयत 123) - जो दूसरे धर्म को मनाने वालो लोग तुम्हारे पास है उनके के साथ लडो 5)(सूरा 4 अन-निसा :आयत 56) - जिन लोगों ने कुरान की आयतों का इनकार किया है,उन्हें आग में झोंको। जब तब की उनकी खाल पक जाएँ ताकि उनकी यातना का मज़ा हम लेते रहे 6) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 23) - अल्लाह को मनाने वालो. अपने बाप और अपने भाइयों को अपने मित्र न बनाओ यदि उन्हें अल्लाह को मनाने वालो के मुक़ाबले दूसरे धर्म को मानने वाले लोग प्रिय हो। तुममें से जो कोई उन्हें अपना मित्र बनाएगा, तो ऐसे ही लोग अत्याचारी होंगे 7) (सूरा 5 अल-माइदा :आयत 57) - अल्लाह को मनाने वालो! तुमसे पहले जिनको किताब दी गई थी, जिन्होंने तुम्हारे धर्म को हँसी-खेल बना लिया है, उन्हें और इनकार करनेवालों को अपना मित्र न बनाओ 8) (सूरा 33 अल-अहजाब :आयत 61)- जहाँ कही विधर्मी पाए गए पकड़े जाएँगे और बुरी तरह जान से मारे जाएँगे 9) (सूरा 21 अल-अंबिया :आयत 98) - जो अल्लाह को छोड़कर दूसरे धर्म पर विश्वास करते है वो सब जहन्नम के ईंधन है. तुम उनको मौत के घाट उतारो 10) (सूरा 32 अस-सजदा :आयत 22)- जो कुरान की आयतें नही मानते वो अपराधी है. तुम जाकर उन अपराधियो से बदला लो 12) (सूरा 8 अल-अनफाल :आयत 69) - काफिरों को मारकर जो लूट का माल महिलाओं( काफिरों की बहन बेटियां) सहित तुमने प्राप्त किया है, उसे वैध-पवित्र समझकर खाओ 13) (सूरा 41 फुस्सीलत :आयत 27) - अतः हम अवश्य ही उन लोगों को, जिन्होंने इस्लाम को स्वीकार करने से इनकार किया है, उन्हें कठोर यातना का मजा चखाएँगे, 14) (सूरा 41 फुस्सीलत :आयत 28) - अल्लाह को ना मनाने वाले विधर्मी लोगो को आग मै जला दो 15) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 111)- अल्लाह को मनाने वालो से उनके प्राण और उनके माल इसके बदले में खरीद लिए है कि उनके लिए जन्नत है. वे अल्लाह के मार्ग में लड़ते है, तो वे मारते भी है और मारे भी जाते है। 16) (सूरा 8 अल-अनफाल : आयत 65 )- ऐ अल्लाह को मानने वालो. सभी मुसलमान जिहाद करो. यदि 20 मुसलमान आदमी जमा होंगे तो वो 100 काफिर (अल्लाह को ना मानने वाले) के बराबर है. काफिर नासमझ है 17) (सूरा 5 अल-माइदा :आयत 51) - ऐ अल्लाह को मनाने वालो. तुम यहूदियों और ईसाइयों को अपना मित्र न बनाओ। वे तुम्हारे विरुद्ध परस्पर एक-दूसरे के मित्र है.जो कोई मुसलामन उनको अपना मित्र बनाएगा,वह उन्हीं लोगों में से होगा। निस्संदेह अल्लाह ऐसे मुसलानो को मार्ग नहीं दिखाता 18) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 29) -जो अल्लाह पर भरोसा नही रखते है और अल्लाह के रसूल को हराम ठहराते है ऐसे काफिर (दुसरे धर्म के लोग) लोगो से लडो और जहा पर भी वो सत्ता कर रहे है उनको सत्ता से बाहर निकालो. और जहा पर तुम राज कर रहे हो वहां पर काफिरो से जिज्या वसूल करो 19) (सूरा 4 अन-निसा :आयत 8) - अधर्मी (अल्लाह को ना मनाने वाले सब लोग) लोग चाहते है सभी मुसलमान अधर्मी बन जाये. कोई भी मुसलमान ऐसे अधर्मी लोगो को अपना मित्र ना बनाओ. जब तक कि वो अल्लाह को ना माने. और वो इस्लाम कबूल ने से मना कर देतो उन्हें कत्ल करो. विधर्मी लोग कभी मुसलमान के ना मित्र होते ना सहायक 20) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 14) - उनसे (विधर्मी से) लड़ो। अल्लाह तुम्हारे हाथों से उन्हें यातना देगा और उन्हें अपमानित करेगा और उनके मुक़ाबले में वह तुम्हारी सहायता करेगा। और ईमानवाले लोगों के दिलों का दुखमोचन करेगा 21) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 14)- अल्लाह को ना मानने वाले काफिरो से लडो उन्हें अपमानित करो. इस कार्य मैं अल्लाह तुम्हारी मदत करेगा 22)(सूरा 9 अत-तौबा :आयत 37)- अल्लाह को ना मनाने वाले लोगो को अल्लाह रास्ता नही दिखाता 23) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 68) - अल्लाह को ना मानने पुरूष और स्त्रियां जहन्नम के आग मैं जलेगी. और जहन्नम मैं सदा ही रहेंगे 24) (सूरा 5 अल-माइदा :आयत 14) -ईसाई लोगो के बीच मैं शत्रुता और द्वेष की भावना भड़का दो. वो इस्लाम के शत्रु है 25) (सूरा 3 अल-ए-इमरान आयत 28) - अल्लाह को ना मानने वालो को अपना मित्र ना बनाओ. औऱ जो ऐसे लोगो को अपना मित्र बनायेगा वो उसका अल्लाह से कोई संबंध नही रहेगा 26) (सूरा 8 अल-अनफाल आयत 7) - अल्लाह को ना मानने वालों की जड़े काट दो 27) (सूरा 8 अल-अनफाल आयत 13) -जो कोई अल्लाह और कुरान का विरोध करने वालों को कठोर यातना दो 28) (सूरा 8 अल-अनफाल आयत 14) - अल्लाह को ना मनाने वालो को आग मैं झोंक दो. . 0 0 2022-08-27 07:04:09
ABP NEWS 1bMRHVuA1Z0 जब हम लोगों को पीड़ित देखते हैं तो दुख होना स्वाभाविक है, लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि ये वही लोग हैं जो हमारे देश को गाली देने और किसी भी तरह से नुकसान पहुंचाने में दोबारा नहीं सोचेंगे। 0 0 2022-08-30 06:53:31
ABP NEWS 1bMRHVuA1Z0 कुरान मैं हिन्दुओ के बारे क्या लिखा है 1) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 5) जब रमजान का महीना बीत जाये तो जो लोग अल्लाह को नही मानते (मुशरिक) वो जहा भी मिले उनका कत्ल करो, उन्हें पकड़ो और जब अगर उन्होने इस्लाम कबूल कर लिया यो उन्हें छोड़ दो 2) (सूरा 9 अत-तौबा आयत 28) - मुशरिक (अल्लाह के सिवाय दूसरे ईश्वर को पूज्य मानने वाले दूसरे धर्म के लोग) तो बस अपवित्र ही है 3) (सूरा 9 अन-निसा :आयत 101) - दूसरे धर्म को मनाने वाले मुसलमानो के खुले शत्रु है 4)(सूरा 9 अत-तौबा :आयत 123) - जो दूसरे धर्म को मनाने वालो लोग तुम्हारे पास है उनके के साथ लडो 5)(सूरा 4 अन-निसा :आयत 56) - जिन लोगों ने कुरान की आयतों का इनकार किया है,उन्हें आग में झोंको। जब तब की उनकी खाल पक जाएँ ताकि उनकी यातना का मज़ा हम लेते रहे 6) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 23) - अल्लाह को मनाने वालो. अपने बाप और अपने भाइयों को अपने मित्र न बनाओ यदि उन्हें अल्लाह को मनाने वालो के मुक़ाबले दूसरे धर्म को मानने वाले लोग प्रिय हो। तुममें से जो कोई उन्हें अपना मित्र बनाएगा, तो ऐसे ही लोग अत्याचारी होंगे 7) (सूरा 5 अल-माइदा :आयत 57) - अल्लाह को मनाने वालो! तुमसे पहले जिनको किताब दी गई थी, जिन्होंने तुम्हारे धर्म को हँसी-खेल बना लिया है, उन्हें और इनकार करनेवालों को अपना मित्र न बनाओ 8) (सूरा 33 अल-अहजाब :आयत 61)- जहाँ कही विधर्मी पाए गए पकड़े जाएँगे और बुरी तरह जान से मारे जाएँगे 9) (सूरा 21 अल-अंबिया :आयत 98) - जो अल्लाह को छोड़कर दूसरे धर्म पर विश्वास करते है वो सब जहन्नम के ईंधन है. तुम उनको मौत के घाट उतारो 10) (सूरा 32 अस-सजदा :आयत 22)- जो कुरान की आयतें नही मानते वो अपराधी है. तुम जाकर उन अपराधियो से बदला लो 12) (सूरा 8 अल-अनफाल :आयत 69) - काफिरों को मारकर जो लूट का माल महिलाओं( काफिरों की बहन बेटियां) सहित तुमने प्राप्त किया है, उसे वैध-पवित्र समझकर खाओ 13) (सूरा 41 फुस्सीलत :आयत 27) - अतः हम अवश्य ही उन लोगों को, जिन्होंने इस्लाम को स्वीकार करने से इनकार किया है, उन्हें कठोर यातना का मजा चखाएँगे, 14) (सूरा 41 फुस्सीलत :आयत 28) - अल्लाह को ना मनाने वाले विधर्मी लोगो को आग मै जला दो 15) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 111)- अल्लाह को मनाने वालो से उनके प्राण और उनके माल इसके बदले में खरीद लिए है कि उनके लिए जन्नत है. वे अल्लाह के मार्ग में लड़ते है, तो वे मारते भी है और मारे भी जाते है। 16) (सूरा 8 अल-अनफाल : आयत 65 )- ऐ अल्लाह को मानने वालो. सभी मुसलमान जिहाद करो. यदि 20 मुसलमान आदमी जमा होंगे तो वो 100 काफिर (अल्लाह को ना मानने वाले) के बराबर है. काफिर नासमझ है 17) (सूरा 5 अल-माइदा :आयत 51) - ऐ अल्लाह को मनाने वालो. तुम यहूदियों और ईसाइयों को अपना मित्र न बनाओ। वे तुम्हारे विरुद्ध परस्पर एक-दूसरे के मित्र है.जो कोई मुसलामन उनको अपना मित्र बनाएगा,वह उन्हीं लोगों में से होगा। निस्संदेह अल्लाह ऐसे मुसलानो को मार्ग नहीं दिखाता 18) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 29) -जो अल्लाह पर भरोसा नही रखते है और अल्लाह के रसूल को हराम ठहराते है ऐसे काफिर (दुसरे धर्म के लोग) लोगो से लडो और जहा पर भी वो सत्ता कर रहे है उनको सत्ता से बाहर निकालो. और जहा पर तुम राज कर रहे हो वहां पर काफिरो से जिज्या वसूल करो 19) (सूरा 4 अन-निसा :आयत 8) - अधर्मी (अल्लाह को ना मनाने वाले सब लोग) लोग चाहते है सभी मुसलमान अधर्मी बन जाये. कोई भी मुसलमान ऐसे अधर्मी लोगो को अपना मित्र ना बनाओ. जब तक कि वो अल्लाह को ना माने. और वो इस्लाम कबूल ने से मना कर देतो उन्हें कत्ल करो. विधर्मी लोग कभी मुसलमान के ना मित्र होते ना सहायक 20) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 14) - उनसे (विधर्मी से) लड़ो। अल्लाह तुम्हारे हाथों से उन्हें यातना देगा और उन्हें अपमानित करेगा और उनके मुक़ाबले में वह तुम्हारी सहायता करेगा। और ईमानवाले लोगों के दिलों का दुखमोचन करेगा 21) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 14)- अल्लाह को ना मानने वाले काफिरो से लडो उन्हें अपमानित करो. इस कार्य मैं अल्लाह तुम्हारी मदत करेगा 22)(सूरा 9 अत-तौबा :आयत 37)- अल्लाह को ना मनाने वाले लोगो को अल्लाह रास्ता नही दिखाता 23) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 68) - अल्लाह को ना मानने पुरूष और स्त्रियां जहन्नम के आग मैं जलेगी. और जहन्नम मैं सदा ही रहेंगे 24) (सूरा 5 अल-माइदा :आयत 14) -ईसाई लोगो के बीच मैं शत्रुता और द्वेष की भावना भड़का दो. वो इस्लाम के शत्रु है 25) (सूरा 3 अल-ए-इमरान आयत 28) - अल्लाह को ना मानने वालो को अपना मित्र ना बनाओ. औऱ जो ऐसे लोगो को अपना मित्र बनायेगा वो उसका अल्लाह से कोई संबंध नही रहेगा 26) (सूरा 8 अल-अनफाल आयत 7) - अल्लाह को ना मानने वालों की जड़े काट दो 27) (सूरा 8 अल-अनफाल आयत 13) -जो कोई अल्लाह और कुरान का विरोध करने वालों को कठोर यातना दो 28) (सूरा 8 अल-अनफाल आयत 14) - अल्लाह को ना मनाने वालो को आग मैं झोंक दो//// 0 0 2022-08-30 06:50:47
ABP NEWS 1bMRHVuA1Z0 कुरान मैं हिन्दुओ के बारे क्या लिखा है 1) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 5) जब रमजान का महीना बीत जाये तो जो लोग अल्लाह को नही मानते (मुशरिक) वो जहा भी मिले उनका कत्ल करो, उन्हें पकड़ो और जब अगर उन्होने इस्लाम कबूल कर लिया यो उन्हें छोड़ दो 2) (सूरा 9 अत-तौबा आयत 28) - मुशरिक (अल्लाह के सिवाय दूसरे ईश्वर को पूज्य मानने वाले दूसरे धर्म के लोग) तो बस अपवित्र ही है 3) (सूरा 9 अन-निसा :आयत 101) - दूसरे धर्म को मनाने वाले मुसलमानो के खुले शत्रु है 4)(सूरा 9 अत-तौबा :आयत 123) - जो दूसरे धर्म को मनाने वालो लोग तुम्हारे पास है उनके के साथ लडो 5)(सूरा 4 अन-निसा :आयत 56) - जिन लोगों ने कुरान की आयतों का इनकार किया है,उन्हें आग में झोंको। जब तब की उनकी खाल पक जाएँ ताकि उनकी यातना का मज़ा हम लेते रहे 6) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 23) - अल्लाह को मनाने वालो. अपने बाप और अपने भाइयों को अपने मित्र न बनाओ यदि उन्हें अल्लाह को मनाने वालो के मुक़ाबले दूसरे धर्म को मानने वाले लोग प्रिय हो। तुममें से जो कोई उन्हें अपना मित्र बनाएगा, तो ऐसे ही लोग अत्याचारी होंगे 7) (सूरा 5 अल-माइदा :आयत 57) - अल्लाह को मनाने वालो! तुमसे पहले जिनको किताब दी गई थी, जिन्होंने तुम्हारे धर्म को हँसी-खेल बना लिया है, उन्हें और इनकार करनेवालों को अपना मित्र न बनाओ 8) (सूरा 33 अल-अहजाब :आयत 61)- जहाँ कही विधर्मी पाए गए पकड़े जाएँगे और बुरी तरह जान से मारे जाएँगे 9) (सूरा 21 अल-अंबिया :आयत 98) - जो अल्लाह को छोड़कर दूसरे धर्म पर विश्वास करते है वो सब जहन्नम के ईंधन है. तुम उनको मौत के घाट उतारो 10) (सूरा 32 अस-सजदा :आयत 22)- जो कुरान की आयतें नही मानते वो अपराधी है. तुम जाकर उन अपराधियो से बदला लो 12) (सूरा 8 अल-अनफाल :आयत 69) - काफिरों को मारकर जो लूट का माल महिलाओं( काफिरों की बहन बेटियां) सहित तुमने प्राप्त किया है, उसे वैध-पवित्र समझकर खाओ 13) (सूरा 41 फुस्सीलत :आयत 27) - अतः हम अवश्य ही उन लोगों को, जिन्होंने इस्लाम को स्वीकार करने से इनकार किया है, उन्हें कठोर यातना का मजा चखाएँगे, 14) (सूरा 41 फुस्सीलत :आयत 28) - अल्लाह को ना मनाने वाले विधर्मी लोगो को आग मै जला दो 15) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 111)- अल्लाह को मनाने वालो से उनके प्राण और उनके माल इसके बदले में खरीद लिए है कि उनके लिए जन्नत है. वे अल्लाह के मार्ग में लड़ते है, तो वे मारते भी है और मारे भी जाते है। 16) (सूरा 8 अल-अनफाल : आयत 65 )- ऐ अल्लाह को मानने वालो. सभी मुसलमान जिहाद करो. यदि 20 मुसलमान आदमी जमा होंगे तो वो 100 काफिर (अल्लाह को ना मानने वाले) के बराबर है. काफिर नासमझ है 17) (सूरा 5 अल-माइदा :आयत 51) - ऐ अल्लाह को मनाने वालो. तुम यहूदियों और ईसाइयों को अपना मित्र न बनाओ। वे तुम्हारे विरुद्ध परस्पर एक-दूसरे के मित्र है.जो कोई मुसलामन उनको अपना मित्र बनाएगा,वह उन्हीं लोगों में से होगा। निस्संदेह अल्लाह ऐसे मुसलानो को मार्ग नहीं दिखाता 18) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 29) -जो अल्लाह पर भरोसा नही रखते है और अल्लाह के रसूल को हराम ठहराते है ऐसे काफिर (दुसरे धर्म के लोग) लोगो से लडो और जहा पर भी वो सत्ता कर रहे है उनको सत्ता से बाहर निकालो. और जहा पर तुम राज कर रहे हो वहां पर काफिरो से जिज्या वसूल करो 19) (सूरा 4 अन-निसा :आयत 8) - अधर्मी (अल्लाह को ना मनाने वाले सब लोग) लोग चाहते है सभी मुसलमान अधर्मी बन जाये. कोई भी मुसलमान ऐसे अधर्मी लोगो को अपना मित्र ना बनाओ. जब तक कि वो अल्लाह को ना माने. और वो इस्लाम कबूल ने से मना कर देतो उन्हें कत्ल करो. विधर्मी लोग कभी मुसलमान के ना मित्र होते ना सहायक 20) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 14) - उनसे (विधर्मी से) लड़ो। अल्लाह तुम्हारे हाथों से उन्हें यातना देगा और उन्हें अपमानित करेगा और उनके मुक़ाबले में वह तुम्हारी सहायता करेगा। और ईमानवाले लोगों के दिलों का दुखमोचन करेगा 21) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 14)- अल्लाह को ना मानने वाले काफिरो से लडो उन्हें अपमानित करो. इस कार्य मैं अल्लाह तुम्हारी मदत करेगा 22)(सूरा 9 अत-तौबा :आयत 37)- अल्लाह को ना मनाने वाले लोगो को अल्लाह रास्ता नही दिखाता 23) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 68) - अल्लाह को ना मानने पुरूष और स्त्रियां जहन्नम के आग मैं जलेगी. और जहन्नम मैं सदा ही रहेंगे 24) (सूरा 5 अल-माइदा :आयत 14) -ईसाई लोगो के बीच मैं शत्रुता और द्वेष की भावना भड़का दो. वो इस्लाम के शत्रु है 25) (सूरा 3 अल-ए-इमरान आयत 28) - अल्लाह को ना मानने वालो को अपना मित्र ना बनाओ. औऱ जो ऐसे लोगो को अपना मित्र बनायेगा वो उसका अल्लाह से कोई संबंध नही रहेगा 26) (सूरा 8 अल-अनफाल आयत 7) - अल्लाह को ना मानने वालों की जड़े काट दो 27) (सूरा 8 अल-अनफाल आयत 13) -जो कोई अल्लाह और कुरान का विरोध करने वालों को कठोर यातना दो 28) (सूरा 8 अल-अनफाल आयत 14) - अल्लाह को ना मनाने वालो को आग मैं झोंक दो//// 0 0 2022-08-30 06:50:40
ABP NEWS 1bMRHVuA1Z0 जब हम लोगों को पीड़ित देखते हैं तो दुख होना स्वाभाविक है, लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि ये वही लोग हैं जो हमारे देश को गाली देने और किसी भी तरह से नुकसान पहुंचाने में दोबारा नहीं सोचेंगे। 0 0 2022-08-30 06:50:30
ABP NEWS 1bMRHVuA1Z0 जब हम लोगों को पीड़ित देखते हैं तो दुख होना स्वाभाविक है, लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि ये वही लोग हैं जो हमारे देश को गाली देने और किसी भी तरह से नुकसान पहुंचाने में दोबारा नहीं सोचेंगे। 0 0 2022-08-30 06:50:26
ABP NEWS 1bMRHVuA1Z0 जब हम लोगों को पीड़ित देखते हैं तो दुख होना स्वाभाविक है, लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि ये वही लोग हैं जो हमारे देश को गाली देने और किसी भी तरह से नुकसान पहुंचाने में दोबारा नहीं सोचेंगे। 0 0 2022-08-30 06:50:14
ABP NEWS 1bMRHVuA1Z0 जब हम लोगों को पीड़ित देखते हैं तो दुख होना स्वाभाविक है, लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि ये वही लोग हैं जो हमारे देश को गाली देने और किसी भी तरह से नुकसान पहुंचाने में दोबारा नहीं सोचेंगे। 0 0 2022-08-30 06:50:10
ABP NEWS 1bMRHVuA1Z0 जब हम लोगों को पीड़ित देखते हैं तो दुख होना स्वाभाविक है, लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि ये वही लोग हैं जो हमारे देश को गाली देने और किसी भी तरह से नुकसान पहुंचाने में दोबारा नहीं सोचेंगे। 0 0 2022-08-30 06:50:06
ABP NEWS 1bMRHVuA1Z0 जब हम लोगों को पीड़ित देखते हैं तो दुख होना स्वाभाविक है, लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि ये वही लोग हैं जो हमारे देश को गाली देने और किसी भी तरह से नुकसान पहुंचाने में दोबारा नहीं सोचेंगे। 0 0 2022-08-30 06:50:01
ABP NEWS 1bMRHVuA1Z0 जब हम लोगों को पीड़ित देखते हैं तो दुख होना स्वाभाविक है, लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि ये वही लोग हैं जो हमारे देश को गाली देने और किसी भी तरह से नुकसान पहुंचाने में दोबारा नहीं सोचेंगे। 0 0 2022-08-30 06:49:56
ABP NEWS 1bMRHVuA1Z0 जब हम लोगों को पीड़ित देखते हैं तो दुख होना स्वाभाविक है, लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि ये वही लोग हैं जो हमारे देश को गाली देने और किसी भी तरह से नुकसान पहुंचाने में दोबारा नहीं सोचेंगे। 0 0 2022-08-30 06:49:51
ABP NEWS 1bMRHVuA1Z0 जब हम लोगों को पीड़ित देखते हैं तो दुख होना स्वाभाविक है, लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि ये वही लोग हैं जो हमारे देश को गाली देने और किसी भी तरह से नुकसान पहुंचाने में दोबारा नहीं सोचेंगे। 0 0 2022-08-30 06:49:46
ABP NEWS 1bMRHVuA1Z0 कुरान मैं हिन्दुओ के बारे क्या लिखा है 1) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 5) जब रमजान का महीना बीत जाये तो जो लोग अल्लाह को नही मानते (मुशरिक) वो जहा भी मिले उनका कत्ल करो, उन्हें पकड़ो और जब अगर उन्होने इस्लाम कबूल कर लिया यो उन्हें छोड़ दो 2) (सूरा 9 अत-तौबा आयत 28) - मुशरिक (अल्लाह के सिवाय दूसरे ईश्वर को पूज्य मानने वाले दूसरे धर्म के लोग) तो बस अपवित्र ही है 3) (सूरा 9 अन-निसा :आयत 101) - दूसरे धर्म को मनाने वाले मुसलमानो के खुले शत्रु है 4)(सूरा 9 अत-तौबा :आयत 123) - जो दूसरे धर्म को मनाने वालो लोग तुम्हारे पास है उनके के साथ लडो 5)(सूरा 4 अन-निसा :आयत 56) - जिन लोगों ने कुरान की आयतों का इनकार किया है,उन्हें आग में झोंको। जब तब की उनकी खाल पक जाएँ ताकि उनकी यातना का मज़ा हम लेते रहे 6) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 23) - अल्लाह को मनाने वालो. अपने बाप और अपने भाइयों को अपने मित्र न बनाओ यदि उन्हें अल्लाह को मनाने वालो के मुक़ाबले दूसरे धर्म को मानने वाले लोग प्रिय हो। तुममें से जो कोई उन्हें अपना मित्र बनाएगा, तो ऐसे ही लोग अत्याचारी होंगे 7) (सूरा 5 अल-माइदा :आयत 57) - अल्लाह को मनाने वालो! तुमसे पहले जिनको किताब दी गई थी, जिन्होंने तुम्हारे धर्म को हँसी-खेल बना लिया है, उन्हें और इनकार करनेवालों को अपना मित्र न बनाओ 8) (सूरा 33 अल-अहजाब :आयत 61)- जहाँ कही विधर्मी पाए गए पकड़े जाएँगे और बुरी तरह जान से मारे जाएँगे 9) (सूरा 21 अल-अंबिया :आयत 98) - जो अल्लाह को छोड़कर दूसरे धर्म पर विश्वास करते है वो सब जहन्नम के ईंधन है. तुम उनको मौत के घाट उतारो 10) (सूरा 32 अस-सजदा :आयत 22)- जो कुरान की आयतें नही मानते वो अपराधी है. तुम जाकर उन अपराधियो से बदला लो 12) (सूरा 8 अल-अनफाल :आयत 69) - काफिरों को मारकर जो लूट का माल महिलाओं( काफिरों की बहन बेटियां) सहित तुमने प्राप्त किया है, उसे वैध-पवित्र समझकर खाओ 13) (सूरा 41 फुस्सीलत :आयत 27) - अतः हम अवश्य ही उन लोगों को, जिन्होंने इस्लाम को स्वीकार करने से इनकार किया है, उन्हें कठोर यातना का मजा चखाएँगे, 14) (सूरा 41 फुस्सीलत :आयत 28) - अल्लाह को ना मनाने वाले विधर्मी लोगो को आग मै जला दो 15) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 111)- अल्लाह को मनाने वालो से उनके प्राण और उनके माल इसके बदले में खरीद लिए है कि उनके लिए जन्नत है. वे अल्लाह के मार्ग में लड़ते है, तो वे मारते भी है और मारे भी जाते है। 16) (सूरा 8 अल-अनफाल : आयत 65 )- ऐ अल्लाह को मानने वालो. सभी मुसलमान जिहाद करो. यदि 20 मुसलमान आदमी जमा होंगे तो वो 100 काफिर (अल्लाह को ना मानने वाले) के बराबर है. काफिर नासमझ है 17) (सूरा 5 अल-माइदा :आयत 51) - ऐ अल्लाह को मनाने वालो. तुम यहूदियों और ईसाइयों को अपना मित्र न बनाओ। वे तुम्हारे विरुद्ध परस्पर एक-दूसरे के मित्र है.जो कोई मुसलामन उनको अपना मित्र बनाएगा,वह उन्हीं लोगों में से होगा। निस्संदेह अल्लाह ऐसे मुसलानो को मार्ग नहीं दिखाता 18) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 29) -जो अल्लाह पर भरोसा नही रखते है और अल्लाह के रसूल को हराम ठहराते है ऐसे काफिर (दुसरे धर्म के लोग) लोगो से लडो और जहा पर भी वो सत्ता कर रहे है उनको सत्ता से बाहर निकालो. और जहा पर तुम राज कर रहे हो वहां पर काफिरो से जिज्या वसूल करो 19) (सूरा 4 अन-निसा :आयत 8) - अधर्मी (अल्लाह को ना मनाने वाले सब लोग) लोग चाहते है सभी मुसलमान अधर्मी बन जाये. कोई भी मुसलमान ऐसे अधर्मी लोगो को अपना मित्र ना बनाओ. जब तक कि वो अल्लाह को ना माने. और वो इस्लाम कबूल ने से मना कर देतो उन्हें कत्ल करो. विधर्मी लोग कभी मुसलमान के ना मित्र होते ना सहायक 20) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 14) - उनसे (विधर्मी से) लड़ो। अल्लाह तुम्हारे हाथों से उन्हें यातना देगा और उन्हें अपमानित करेगा और उनके मुक़ाबले में वह तुम्हारी सहायता करेगा। और ईमानवाले लोगों के दिलों का दुखमोचन करेगा 21) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 14)- अल्लाह को ना मानने वाले काफिरो से लडो उन्हें अपमानित करो. इस कार्य मैं अल्लाह तुम्हारी मदत करेगा 22)(सूरा 9 अत-तौबा :आयत 37)- अल्लाह को ना मनाने वाले लोगो को अल्लाह रास्ता नही दिखाता 23) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 68) - अल्लाह को ना मानने पुरूष और स्त्रियां जहन्नम के आग मैं जलेगी. और जहन्नम मैं सदा ही रहेंगे 24) (सूरा 5 अल-माइदा :आयत 14) -ईसाई लोगो के बीच मैं शत्रुता और द्वेष की भावना भड़का दो. वो इस्लाम के शत्रु है 25) (सूरा 3 अल-ए-इमरान आयत 28) - अल्लाह को ना मानने वालो को अपना मित्र ना बनाओ. औऱ जो ऐसे लोगो को अपना मित्र बनायेगा वो उसका अल्लाह से कोई संबंध नही रहेगा 26) (सूरा 8 अल-अनफाल आयत 7) - अल्लाह को ना मानने वालों की जड़े काट दो 27) (सूरा 8 अल-अनफाल आयत 13) -जो कोई अल्लाह और कुरान का विरोध करने वालों को कठोर यातना दो 28) (सूरा 8 अल-अनफाल आयत 14) - अल्लाह को ना मनाने वालो को आग मैं झोंक दो//// 0 0 2022-08-30 06:49:22
ABP NEWS 1bMRHVuA1Z0 कुरान मैं हिन्दुओ के बारे क्या लिखा है 1) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 5) जब रमजान का महीना बीत जाये तो जो लोग अल्लाह को नही मानते (मुशरिक) वो जहा भी मिले उनका कत्ल करो, उन्हें पकड़ो और जब अगर उन्होने इस्लाम कबूल कर लिया यो उन्हें छोड़ दो 2) (सूरा 9 अत-तौबा आयत 28) - मुशरिक (अल्लाह के सिवाय दूसरे ईश्वर को पूज्य मानने वाले दूसरे धर्म के लोग) तो बस अपवित्र ही है 3) (सूरा 9 अन-निसा :आयत 101) - दूसरे धर्म को मनाने वाले मुसलमानो के खुले शत्रु है 4)(सूरा 9 अत-तौबा :आयत 123) - जो दूसरे धर्म को मनाने वालो लोग तुम्हारे पास है उनके के साथ लडो 5)(सूरा 4 अन-निसा :आयत 56) - जिन लोगों ने कुरान की आयतों का इनकार किया है,उन्हें आग में झोंको। जब तब की उनकी खाल पक जाएँ ताकि उनकी यातना का मज़ा हम लेते रहे 6) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 23) - अल्लाह को मनाने वालो. अपने बाप और अपने भाइयों को अपने मित्र न बनाओ यदि उन्हें अल्लाह को मनाने वालो के मुक़ाबले दूसरे धर्म को मानने वाले लोग प्रिय हो। तुममें से जो कोई उन्हें अपना मित्र बनाएगा, तो ऐसे ही लोग अत्याचारी होंगे 7) (सूरा 5 अल-माइदा :आयत 57) - अल्लाह को मनाने वालो! तुमसे पहले जिनको किताब दी गई थी, जिन्होंने तुम्हारे धर्म को हँसी-खेल बना लिया है, उन्हें और इनकार करनेवालों को अपना मित्र न बनाओ 8) (सूरा 33 अल-अहजाब :आयत 61)- जहाँ कही विधर्मी पाए गए पकड़े जाएँगे और बुरी तरह जान से मारे जाएँगे 9) (सूरा 21 अल-अंबिया :आयत 98) - जो अल्लाह को छोड़कर दूसरे धर्म पर विश्वास करते है वो सब जहन्नम के ईंधन है. तुम उनको मौत के घाट उतारो 10) (सूरा 32 अस-सजदा :आयत 22)- जो कुरान की आयतें नही मानते वो अपराधी है. तुम जाकर उन अपराधियो से बदला लो 12) (सूरा 8 अल-अनफाल :आयत 69) - काफिरों को मारकर जो लूट का माल महिलाओं( काफिरों की बहन बेटियां) सहित तुमने प्राप्त किया है, उसे वैध-पवित्र समझकर खाओ 13) (सूरा 41 फुस्सीलत :आयत 27) - अतः हम अवश्य ही उन लोगों को, जिन्होंने इस्लाम को स्वीकार करने से इनकार किया है, उन्हें कठोर यातना का मजा चखाएँगे, 14) (सूरा 41 फुस्सीलत :आयत 28) - अल्लाह को ना मनाने वाले विधर्मी लोगो को आग मै जला दो 15) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 111)- अल्लाह को मनाने वालो से उनके प्राण और उनके माल इसके बदले में खरीद लिए है कि उनके लिए जन्नत है. वे अल्लाह के मार्ग में लड़ते है, तो वे मारते भी है और मारे भी जाते है। 16) (सूरा 8 अल-अनफाल : आयत 65 )- ऐ अल्लाह को मानने वालो. सभी मुसलमान जिहाद करो. यदि 20 मुसलमान आदमी जमा होंगे तो वो 100 काफिर (अल्लाह को ना मानने वाले) के बराबर है. काफिर नासमझ है 17) (सूरा 5 अल-माइदा :आयत 51) - ऐ अल्लाह को मनाने वालो. तुम यहूदियों और ईसाइयों को अपना मित्र न बनाओ। वे तुम्हारे विरुद्ध परस्पर एक-दूसरे के मित्र है.जो कोई मुसलामन उनको अपना मित्र बनाएगा,वह उन्हीं लोगों में से होगा। निस्संदेह अल्लाह ऐसे मुसलानो को मार्ग नहीं दिखाता 18) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 29) -जो अल्लाह पर भरोसा नही रखते है और अल्लाह के रसूल को हराम ठहराते है ऐसे काफिर (दुसरे धर्म के लोग) लोगो से लडो और जहा पर भी वो सत्ता कर रहे है उनको सत्ता से बाहर निकालो. और जहा पर तुम राज कर रहे हो वहां पर काफिरो से जिज्या वसूल करो 19) (सूरा 4 अन-निसा :आयत 8) - अधर्मी (अल्लाह को ना मनाने वाले सब लोग) लोग चाहते है सभी मुसलमान अधर्मी बन जाये. कोई भी मुसलमान ऐसे अधर्मी लोगो को अपना मित्र ना बनाओ. जब तक कि वो अल्लाह को ना माने. और वो इस्लाम कबूल ने से मना कर देतो उन्हें कत्ल करो. विधर्मी लोग कभी मुसलमान के ना मित्र होते ना सहायक 20) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 14) - उनसे (विधर्मी से) लड़ो। अल्लाह तुम्हारे हाथों से उन्हें यातना देगा और उन्हें अपमानित करेगा और उनके मुक़ाबले में वह तुम्हारी सहायता करेगा। और ईमानवाले लोगों के दिलों का दुखमोचन करेगा 21) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 14)- अल्लाह को ना मानने वाले काफिरो से लडो उन्हें अपमानित करो. इस कार्य मैं अल्लाह तुम्हारी मदत करेगा 22)(सूरा 9 अत-तौबा :आयत 37)- अल्लाह को ना मनाने वाले लोगो को अल्लाह रास्ता नही दिखाता 23) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 68) - अल्लाह को ना मानने पुरूष और स्त्रियां जहन्नम के आग मैं जलेगी. और जहन्नम मैं सदा ही रहेंगे 24) (सूरा 5 अल-माइदा :आयत 14) -ईसाई लोगो के बीच मैं शत्रुता और द्वेष की भावना भड़का दो. वो इस्लाम के शत्रु है 25) (सूरा 3 अल-ए-इमरान आयत 28) - अल्लाह को ना मानने वालो को अपना मित्र ना बनाओ. औऱ जो ऐसे लोगो को अपना मित्र बनायेगा वो उसका अल्लाह से कोई संबंध नही रहेगा 26) (सूरा 8 अल-अनफाल आयत 7) - अल्लाह को ना मानने वालों की जड़े काट दो 27) (सूरा 8 अल-अनफाल आयत 13) -जो कोई अल्लाह और कुरान का विरोध करने वालों को कठोर यातना दो 28) (सूरा 8 अल-अनफाल आयत 14) - अल्लाह को ना मनाने वालो को आग मैं झोंक दो//// 0 0 2022-08-30 06:49:15
ABP NEWS 1bMRHVuA1Z0 कुरान मैं हिन्दुओ के बारे क्या लिखा है 1) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 5) जब रमजान का महीना बीत जाये तो जो लोग अल्लाह को नही मानते (मुशरिक) वो जहा भी मिले उनका कत्ल करो, उन्हें पकड़ो और जब अगर उन्होने इस्लाम कबूल कर लिया यो उन्हें छोड़ दो 2) (सूरा 9 अत-तौबा आयत 28) - मुशरिक (अल्लाह के सिवाय दूसरे ईश्वर को पूज्य मानने वाले दूसरे धर्म के लोग) तो बस अपवित्र ही है 3) (सूरा 9 अन-निसा :आयत 101) - दूसरे धर्म को मनाने वाले मुसलमानो के खुले शत्रु है 4)(सूरा 9 अत-तौबा :आयत 123) - जो दूसरे धर्म को मनाने वालो लोग तुम्हारे पास है उनके के साथ लडो 5)(सूरा 4 अन-निसा :आयत 56) - जिन लोगों ने कुरान की आयतों का इनकार किया है,उन्हें आग में झोंको। जब तब की उनकी खाल पक जाएँ ताकि उनकी यातना का मज़ा हम लेते रहे 6) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 23) - अल्लाह को मनाने वालो. अपने बाप और अपने भाइयों को अपने मित्र न बनाओ यदि उन्हें अल्लाह को मनाने वालो के मुक़ाबले दूसरे धर्म को मानने वाले लोग प्रिय हो। तुममें से जो कोई उन्हें अपना मित्र बनाएगा, तो ऐसे ही लोग अत्याचारी होंगे 7) (सूरा 5 अल-माइदा :आयत 57) - अल्लाह को मनाने वालो! तुमसे पहले जिनको किताब दी गई थी, जिन्होंने तुम्हारे धर्म को हँसी-खेल बना लिया है, उन्हें और इनकार करनेवालों को अपना मित्र न बनाओ 8) (सूरा 33 अल-अहजाब :आयत 61)- जहाँ कही विधर्मी पाए गए पकड़े जाएँगे और बुरी तरह जान से मारे जाएँगे 9) (सूरा 21 अल-अंबिया :आयत 98) - जो अल्लाह को छोड़कर दूसरे धर्म पर विश्वास करते है वो सब जहन्नम के ईंधन है. तुम उनको मौत के घाट उतारो 10) (सूरा 32 अस-सजदा :आयत 22)- जो कुरान की आयतें नही मानते वो अपराधी है. तुम जाकर उन अपराधियो से बदला लो 12) (सूरा 8 अल-अनफाल :आयत 69) - काफिरों को मारकर जो लूट का माल महिलाओं( काफिरों की बहन बेटियां) सहित तुमने प्राप्त किया है, उसे वैध-पवित्र समझकर खाओ 13) (सूरा 41 फुस्सीलत :आयत 27) - अतः हम अवश्य ही उन लोगों को, जिन्होंने इस्लाम को स्वीकार करने से इनकार किया है, उन्हें कठोर यातना का मजा चखाएँगे, 14) (सूरा 41 फुस्सीलत :आयत 28) - अल्लाह को ना मनाने वाले विधर्मी लोगो को आग मै जला दो 15) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 111)- अल्लाह को मनाने वालो से उनके प्राण और उनके माल इसके बदले में खरीद लिए है कि उनके लिए जन्नत है. वे अल्लाह के मार्ग में लड़ते है, तो वे मारते भी है और मारे भी जाते है। 16) (सूरा 8 अल-अनफाल : आयत 65 )- ऐ अल्लाह को मानने वालो. सभी मुसलमान जिहाद करो. यदि 20 मुसलमान आदमी जमा होंगे तो वो 100 काफिर (अल्लाह को ना मानने वाले) के बराबर है. काफिर नासमझ है 17) (सूरा 5 अल-माइदा :आयत 51) - ऐ अल्लाह को मनाने वालो. तुम यहूदियों और ईसाइयों को अपना मित्र न बनाओ। वे तुम्हारे विरुद्ध परस्पर एक-दूसरे के मित्र है.जो कोई मुसलामन उनको अपना मित्र बनाएगा,वह उन्हीं लोगों में से होगा। निस्संदेह अल्लाह ऐसे मुसलानो को मार्ग नहीं दिखाता 18) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 29) -जो अल्लाह पर भरोसा नही रखते है और अल्लाह के रसूल को हराम ठहराते है ऐसे काफिर (दुसरे धर्म के लोग) लोगो से लडो और जहा पर भी वो सत्ता कर रहे है उनको सत्ता से बाहर निकालो. और जहा पर तुम राज कर रहे हो वहां पर काफिरो से जिज्या वसूल करो 19) (सूरा 4 अन-निसा :आयत 8) - अधर्मी (अल्लाह को ना मनाने वाले सब लोग) लोग चाहते है सभी मुसलमान अधर्मी बन जाये. कोई भी मुसलमान ऐसे अधर्मी लोगो को अपना मित्र ना बनाओ. जब तक कि वो अल्लाह को ना माने. और वो इस्लाम कबूल ने से मना कर देतो उन्हें कत्ल करो. विधर्मी लोग कभी मुसलमान के ना मित्र होते ना सहायक 20) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 14) - उनसे (विधर्मी से) लड़ो। अल्लाह तुम्हारे हाथों से उन्हें यातना देगा और उन्हें अपमानित करेगा और उनके मुक़ाबले में वह तुम्हारी सहायता करेगा। और ईमानवाले लोगों के दिलों का दुखमोचन करेगा 21) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 14)- अल्लाह को ना मानने वाले काफिरो से लडो उन्हें अपमानित करो. इस कार्य मैं अल्लाह तुम्हारी मदत करेगा 22)(सूरा 9 अत-तौबा :आयत 37)- अल्लाह को ना मनाने वाले लोगो को अल्लाह रास्ता नही दिखाता 23) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 68) - अल्लाह को ना मानने पुरूष और स्त्रियां जहन्नम के आग मैं जलेगी. और जहन्नम मैं सदा ही रहेंगे 24) (सूरा 5 अल-माइदा :आयत 14) -ईसाई लोगो के बीच मैं शत्रुता और द्वेष की भावना भड़का दो. वो इस्लाम के शत्रु है 25) (सूरा 3 अल-ए-इमरान आयत 28) - अल्लाह को ना मानने वालो को अपना मित्र ना बनाओ. औऱ जो ऐसे लोगो को अपना मित्र बनायेगा वो उसका अल्लाह से कोई संबंध नही रहेगा 26) (सूरा 8 अल-अनफाल आयत 7) - अल्लाह को ना मानने वालों की जड़े काट दो 27) (सूरा 8 अल-अनफाल आयत 13) -जो कोई अल्लाह और कुरान का विरोध करने वालों को कठोर यातना दो 28) (सूरा 8 अल-अनफाल आयत 14) - अल्लाह को ना मनाने वालो को आग मैं झोंक दो//// 0 0 2022-08-30 06:49:06
SonyMusicSouthVEVO 2ogKpj5QuSY कुरान मैं हिन्दुओ के बारे क्या लिखा है 1) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 5) जब रमजान का महीना बीत जाये तो जो लोग अल्लाह को नही मानते (मुशरिक) वो जहा भी मिले उनका कत्ल करो, उन्हें पकड़ो और जब अगर उन्होने इस्लाम कबूल कर लिया यो उन्हें छोड़ दो 2) (सूरा 9 अत-तौबा आयत 28) - मुशरिक (अल्लाह के सिवाय दूसरे ईश्वर को पूज्य मानने वाले दूसरे धर्म के लोग) तो बस अपवित्र ही है 3) (सूरा 9 अन-निसा :आयत 101) - दूसरे धर्म को मनाने वाले मुसलमानो के खुले शत्रु है 4)(सूरा 9 अत-तौबा :आयत 123) - जो दूसरे धर्म को मनाने वालो लोग तुम्हारे पास है उनके के साथ लडो 5)(सूरा 4 अन-निसा :आयत 56) - जिन लोगों ने कुरान की आयतों का इनकार किया है,उन्हें आग में झोंको। जब तब की उनकी खाल पक जाएँ ताकि उनकी यातना का मज़ा हम लेते रहे 6) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 23) - अल्लाह को मनाने वालो. अपने बाप और अपने भाइयों को अपने मित्र न बनाओ यदि उन्हें अल्लाह को मनाने वालो के मुक़ाबले दूसरे धर्म को मानने वाले लोग प्रिय हो। तुममें से जो कोई उन्हें अपना मित्र बनाएगा, तो ऐसे ही लोग अत्याचारी होंगे 7) (सूरा 5 अल-माइदा :आयत 57) - अल्लाह को मनाने वालो! तुमसे पहले जिनको किताब दी गई थी, जिन्होंने तुम्हारे धर्म को हँसी-खेल बना लिया है, उन्हें और इनकार करनेवालों को अपना मित्र न बनाओ 8) (सूरा 33 अल-अहजाब :आयत 61)- जहाँ कही विधर्मी पाए गए पकड़े जाएँगे और बुरी तरह जान से मारे जाएँगे 9) (सूरा 21 अल-अंबिया :आयत 98) - जो अल्लाह को छोड़कर दूसरे धर्म पर विश्वास करते है वो सब जहन्नम के ईंधन है. तुम उनको मौत के घाट उतारो 10) (सूरा 32 अस-सजदा :आयत 22)- जो कुरान की आयतें नही मानते वो अपराधी है. तुम जाकर उन अपराधियो से बदला लो 12) (सूरा 8 अल-अनफाल :आयत 69) - काफिरों को मारकर जो लूट का माल महिलाओं( काफिरों की बहन बेटियां) सहित तुमने प्राप्त किया है, उसे वैध-पवित्र समझकर खाओ 13) (सूरा 41 फुस्सीलत :आयत 27) - अतः हम अवश्य ही उन लोगों को, जिन्होंने इस्लाम को स्वीकार करने से इनकार किया है, उन्हें कठोर यातना का मजा चखाएँगे, 14) (सूरा 41 फुस्सीलत :आयत 28) - अल्लाह को ना मनाने वाले विधर्मी लोगो को आग मै जला दो 15) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 111)- अल्लाह को मनाने वालो से उनके प्राण और उनके माल इसके बदले में खरीद लिए है कि उनके लिए जन्नत है. वे अल्लाह के मार्ग में लड़ते है, तो वे मारते भी है और मारे भी जाते है। 16) (सूरा 8 अल-अनफाल : आयत 65 )- ऐ अल्लाह को मानने वालो. सभी मुसलमान जिहाद करो. यदि 20 मुसलमान आदमी जमा होंगे तो वो 100 काफिर (अल्लाह को ना मानने वाले) के बराबर है. काफिर नासमझ है 17) (सूरा 5 अल-माइदा :आयत 51) - ऐ अल्लाह को मनाने वालो. तुम यहूदियों और ईसाइयों को अपना मित्र न बनाओ। वे तुम्हारे विरुद्ध परस्पर एक-दूसरे के मित्र है.जो कोई मुसलामन उनको अपना मित्र बनाएगा,वह उन्हीं लोगों में से होगा। निस्संदेह अल्लाह ऐसे मुसलानो को मार्ग नहीं दिखाता 18) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 29) -जो अल्लाह पर भरोसा नही रखते है और अल्लाह के रसूल को हराम ठहराते है ऐसे काफिर (दुसरे धर्म के लोग) लोगो से लडो और जहा पर भी वो सत्ता कर रहे है उनको सत्ता से बाहर निकालो. और जहा पर तुम राज कर रहे हो वहां पर काफिरो से जिज्या वसूल करो 19) (सूरा 4 अन-निसा :आयत 8) - अधर्मी (अल्लाह को ना मनाने वाले सब लोग) लोग चाहते है सभी मुसलमान अधर्मी बन जाये. कोई भी मुसलमान ऐसे अधर्मी लोगो को अपना मित्र ना बनाओ. जब तक कि वो अल्लाह को ना माने. और वो इस्लाम कबूल ने से मना कर देतो उन्हें कत्ल करो. विधर्मी लोग कभी मुसलमान के ना मित्र होते ना सहायक 20) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 14) - उनसे (विधर्मी से) लड़ो। अल्लाह तुम्हारे हाथों से उन्हें यातना देगा और उन्हें अपमानित करेगा और उनके मुक़ाबले में वह तुम्हारी सहायता करेगा। और ईमानवाले लोगों के दिलों का दुखमोचन करेगा 21) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 14)- अल्लाह को ना मानने वाले काफिरो से लडो उन्हें अपमानित करो. इस कार्य मैं अल्लाह तुम्हारी मदत करेगा 22)(सूरा 9 अत-तौबा :आयत 37)- अल्लाह को ना मनाने वाले लोगो को अल्लाह रास्ता नही दिखाता 23) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 68) - अल्लाह को ना मानने पुरूष और स्त्रियां जहन्नम के आग मैं जलेगी. और जहन्नम मैं सदा ही रहेंगे 24) (सूरा 5 अल-माइदा :आयत 14) -ईसाई लोगो के बीच मैं शत्रुता और द्वेष की भावना भड़का दो. वो इस्लाम के शत्रु है 25) (सूरा 3 अल-ए-इमरान आयत 28) - अल्लाह को ना मानने वालो को अपना मित्र ना बनाओ. औऱ जो ऐसे लोगो को अपना मित्र बनायेगा वो उसका अल्लाह से कोई संबंध नही रहेगा 26) (सूरा 8 अल-अनफाल आयत 7) - अल्लाह को ना मानने वालों की जड़े काट दो 27) (सूरा 8 अल-अनफाल आयत 13) -जो कोई अल्लाह और कुरान का विरोध करने वालों को कठोर यातना दो 28) (सूरा 8 अल-अनफाल आयत 14) - अल्लाह को ना मनाने वालो को आग मैं झोंक दो. . 0 0 2022-08-24 05:45:59
SonyMusicSouthVEVO D6GhXOF3GUc कुरान मैं हिन्दुओ के बारे क्या लिखा है 1) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 5) जब रमजान का महीना बीत जाये तो जो लोग अल्लाह को नही मानते (मुशरिक) वो जहा भी मिले उनका कत्ल करो, उन्हें पकड़ो और जब अगर उन्होने इस्लाम कबूल कर लिया यो उन्हें छोड़ दो 2) (सूरा 9 अत-तौबा आयत 28) - मुशरिक (अल्लाह के सिवाय दूसरे ईश्वर को पूज्य मानने वाले दूसरे धर्म के लोग) तो बस अपवित्र ही है 3) (सूरा 9 अन-निसा :आयत 101) - दूसरे धर्म को मनाने वाले मुसलमानो के खुले शत्रु है 4)(सूरा 9 अत-तौबा :आयत 123) - जो दूसरे धर्म को मनाने वालो लोग तुम्हारे पास है उनके के साथ लडो 5)(सूरा 4 अन-निसा :आयत 56) - जिन लोगों ने कुरान की आयतों का इनकार किया है,उन्हें आग में झोंको। जब तब की उनकी खाल पक जाएँ ताकि उनकी यातना का मज़ा हम लेते रहे 6) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 23) - अल्लाह को मनाने वालो. अपने बाप और अपने भाइयों को अपने मित्र न बनाओ यदि उन्हें अल्लाह को मनाने वालो के मुक़ाबले दूसरे धर्म को मानने वाले लोग प्रिय हो। तुममें से जो कोई उन्हें अपना मित्र बनाएगा, तो ऐसे ही लोग अत्याचारी होंगे 7) (सूरा 5 अल-माइदा :आयत 57) - अल्लाह को मनाने वालो! तुमसे पहले जिनको किताब दी गई थी, जिन्होंने तुम्हारे धर्म को हँसी-खेल बना लिया है, उन्हें और इनकार करनेवालों को अपना मित्र न बनाओ 8) (सूरा 33 अल-अहजाब :आयत 61)- जहाँ कही विधर्मी पाए गए पकड़े जाएँगे और बुरी तरह जान से मारे जाएँगे 9) (सूरा 21 अल-अंबिया :आयत 98) - जो अल्लाह को छोड़कर दूसरे धर्म पर विश्वास करते है वो सब जहन्नम के ईंधन है. तुम उनको मौत के घाट उतारो 10) (सूरा 32 अस-सजदा :आयत 22)- जो कुरान की आयतें नही मानते वो अपराधी है. तुम जाकर उन अपराधियो से बदला लो 12) (सूरा 8 अल-अनफाल :आयत 69) - काफिरों को मारकर जो लूट का माल महिलाओं( काफिरों की बहन बेटियां) सहित तुमने प्राप्त किया है, उसे वैध-पवित्र समझकर खाओ 13) (सूरा 41 फुस्सीलत :आयत 27) - अतः हम अवश्य ही उन लोगों को, जिन्होंने इस्लाम को स्वीकार करने से इनकार किया है, उन्हें कठोर यातना का मजा चखाएँगे, 14) (सूरा 41 फुस्सीलत :आयत 28) - अल्लाह को ना मनाने वाले विधर्मी लोगो को आग मै जला दो 15) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 111)- अल्लाह को मनाने वालो से उनके प्राण और उनके माल इसके बदले में खरीद लिए है कि उनके लिए जन्नत है. वे अल्लाह के मार्ग में लड़ते है, तो वे मारते भी है और मारे भी जाते है। 16) (सूरा 8 अल-अनफाल : आयत 65 )- ऐ अल्लाह को मानने वालो. सभी मुसलमान जिहाद करो. यदि 20 मुसलमान आदमी जमा होंगे तो वो 100 काफिर (अल्लाह को ना मानने वाले) के बराबर है. काफिर नासमझ है 17) (सूरा 5 अल-माइदा :आयत 51) - ऐ अल्लाह को मनाने वालो. तुम यहूदियों और ईसाइयों को अपना मित्र न बनाओ। वे तुम्हारे विरुद्ध परस्पर एक-दूसरे के मित्र है.जो कोई मुसलामन उनको अपना मित्र बनाएगा,वह उन्हीं लोगों में से होगा। निस्संदेह अल्लाह ऐसे मुसलानो को मार्ग नहीं दिखाता 18) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 29) -जो अल्लाह पर भरोसा नही रखते है और अल्लाह के रसूल को हराम ठहराते है ऐसे काफिर (दुसरे धर्म के लोग) लोगो से लडो और जहा पर भी वो सत्ता कर रहे है उनको सत्ता से बाहर निकालो. और जहा पर तुम राज कर रहे हो वहां पर काफिरो से जिज्या वसूल करो 19) (सूरा 4 अन-निसा :आयत 8) - अधर्मी (अल्लाह को ना मनाने वाले सब लोग) लोग चाहते है सभी मुसलमान अधर्मी बन जाये. कोई भी मुसलमान ऐसे अधर्मी लोगो को अपना मित्र ना बनाओ. जब तक कि वो अल्लाह को ना माने. और वो इस्लाम कबूल ने से मना कर देतो उन्हें कत्ल करो. विधर्मी लोग कभी मुसलमान के ना मित्र होते ना सहायक 20) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 14) - उनसे (विधर्मी से) लड़ो। अल्लाह तुम्हारे हाथों से उन्हें यातना देगा और उन्हें अपमानित करेगा और उनके मुक़ाबले में वह तुम्हारी सहायता करेगा। और ईमानवाले लोगों के दिलों का दुखमोचन करेगा 21) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 14)- अल्लाह को ना मानने वाले काफिरो से लडो उन्हें अपमानित करो. इस कार्य मैं अल्लाह तुम्हारी मदत करेगा 22)(सूरा 9 अत-तौबा :आयत 37)- अल्लाह को ना मनाने वाले लोगो को अल्लाह रास्ता नही दिखाता 23) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 68) - अल्लाह को ना मानने पुरूष और स्त्रियां जहन्नम के आग मैं जलेगी. और जहन्नम मैं सदा ही रहेंगे 24) (सूरा 5 अल-माइदा :आयत 14) -ईसाई लोगो के बीच मैं शत्रुता और द्वेष की भावना भड़का दो. वो इस्लाम के शत्रु है 25) (सूरा 3 अल-ए-इमरान आयत 28) - अल्लाह को ना मानने वालो को अपना मित्र ना बनाओ. औऱ जो ऐसे लोगो को अपना मित्र बनायेगा वो उसका अल्लाह से कोई संबंध नही रहेगा 26) (सूरा 8 अल-अनफाल आयत 7) - अल्लाह को ना मानने वालों की जड़े काट दो 27) (सूरा 8 अल-अनफाल आयत 13) -जो कोई अल्लाह और कुरान का विरोध करने वालों को कठोर यातना दो 28) (सूरा 8 अल-अनफाल आयत 14) - अल्लाह को ना मनाने वालो को आग मैं झोंक दो. . 0 0 2022-08-24 05:42:15
SonyMusicSouthVEVO D6GhXOF3GUc कुरान मैं हिन्दुओ के बारे क्या लिखा है 1) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 5) जब रमजान का महीना बीत जाये तो जो लोग अल्लाह को नही मानते (मुशरिक) वो जहा भी मिले उनका कत्ल करो, उन्हें पकड़ो और जब अगर उन्होने इस्लाम कबूल कर लिया यो उन्हें छोड़ दो 2) (सूरा 9 अत-तौबा आयत 28) - मुशरिक (अल्लाह के सिवाय दूसरे ईश्वर को पूज्य मानने वाले दूसरे धर्म के लोग) तो बस अपवित्र ही है 3) (सूरा 9 अन-निसा :आयत 101) - दूसरे धर्म को मनाने वाले मुसलमानो के खुले शत्रु है 4)(सूरा 9 अत-तौबा :आयत 123) - जो दूसरे धर्म को मनाने वालो लोग तुम्हारे पास है उनके के साथ लडो 5)(सूरा 4 अन-निसा :आयत 56) - जिन लोगों ने कुरान की आयतों का इनकार किया है,उन्हें आग में झोंको। जब तब की उनकी खाल पक जाएँ ताकि उनकी यातना का मज़ा हम लेते रहे 6) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 23) - अल्लाह को मनाने वालो. अपने बाप और अपने भाइयों को अपने मित्र न बनाओ यदि उन्हें अल्लाह को मनाने वालो के मुक़ाबले दूसरे धर्म को मानने वाले लोग प्रिय हो। तुममें से जो कोई उन्हें अपना मित्र बनाएगा, तो ऐसे ही लोग अत्याचारी होंगे 7) (सूरा 5 अल-माइदा :आयत 57) - अल्लाह को मनाने वालो! तुमसे पहले जिनको किताब दी गई थी, जिन्होंने तुम्हारे धर्म को हँसी-खेल बना लिया है, उन्हें और इनकार करनेवालों को अपना मित्र न बनाओ 8) (सूरा 33 अल-अहजाब :आयत 61)- जहाँ कही विधर्मी पाए गए पकड़े जाएँगे और बुरी तरह जान से मारे जाएँगे 9) (सूरा 21 अल-अंबिया :आयत 98) - जो अल्लाह को छोड़कर दूसरे धर्म पर विश्वास करते है वो सब जहन्नम के ईंधन है. तुम उनको मौत के घाट उतारो 10) (सूरा 32 अस-सजदा :आयत 22)- जो कुरान की आयतें नही मानते वो अपराधी है. तुम जाकर उन अपराधियो से बदला लो 12) (सूरा 8 अल-अनफाल :आयत 69) - काफिरों को मारकर जो लूट का माल महिलाओं( काफिरों की बहन बेटियां) सहित तुमने प्राप्त किया है, उसे वैध-पवित्र समझकर खाओ 13) (सूरा 41 फुस्सीलत :आयत 27) - अतः हम अवश्य ही उन लोगों को, जिन्होंने इस्लाम को स्वीकार करने से इनकार किया है, उन्हें कठोर यातना का मजा चखाएँगे, 14) (सूरा 41 फुस्सीलत :आयत 28) - अल्लाह को ना मनाने वाले विधर्मी लोगो को आग मै जला दो 15) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 111)- अल्लाह को मनाने वालो से उनके प्राण और उनके माल इसके बदले में खरीद लिए है कि उनके लिए जन्नत है. वे अल्लाह के मार्ग में लड़ते है, तो वे मारते भी है और मारे भी जाते है। 16) (सूरा 8 अल-अनफाल : आयत 65 )- ऐ अल्लाह को मानने वालो. सभी मुसलमान जिहाद करो. यदि 20 मुसलमान आदमी जमा होंगे तो वो 100 काफिर (अल्लाह को ना मानने वाले) के बराबर है. काफिर नासमझ है 17) (सूरा 5 अल-माइदा :आयत 51) - ऐ अल्लाह को मनाने वालो. तुम यहूदियों और ईसाइयों को अपना मित्र न बनाओ। वे तुम्हारे विरुद्ध परस्पर एक-दूसरे के मित्र है.जो कोई मुसलामन उनको अपना मित्र बनाएगा,वह उन्हीं लोगों में से होगा। निस्संदेह अल्लाह ऐसे मुसलानो को मार्ग नहीं दिखाता 18) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 29) -जो अल्लाह पर भरोसा नही रखते है और अल्लाह के रसूल को हराम ठहराते है ऐसे काफिर (दुसरे धर्म के लोग) लोगो से लडो और जहा पर भी वो सत्ता कर रहे है उनको सत्ता से बाहर निकालो. और जहा पर तुम राज कर रहे हो वहां पर काफिरो से जिज्या वसूल करो 19) (सूरा 4 अन-निसा :आयत 8) - अधर्मी (अल्लाह को ना मनाने वाले सब लोग) लोग चाहते है सभी मुसलमान अधर्मी बन जाये. कोई भी मुसलमान ऐसे अधर्मी लोगो को अपना मित्र ना बनाओ. जब तक कि वो अल्लाह को ना माने. और वो इस्लाम कबूल ने से मना कर देतो उन्हें कत्ल करो. विधर्मी लोग कभी मुसलमान के ना मित्र होते ना सहायक 20) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 14) - उनसे (विधर्मी से) लड़ो। अल्लाह तुम्हारे हाथों से उन्हें यातना देगा और उन्हें अपमानित करेगा और उनके मुक़ाबले में वह तुम्हारी सहायता करेगा। और ईमानवाले लोगों के दिलों का दुखमोचन करेगा 21) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 14)- अल्लाह को ना मानने वाले काफिरो से लडो उन्हें अपमानित करो. इस कार्य मैं अल्लाह तुम्हारी मदत करेगा 22)(सूरा 9 अत-तौबा :आयत 37)- अल्लाह को ना मनाने वाले लोगो को अल्लाह रास्ता नही दिखाता 23) (सूरा 9 अत-तौबा :आयत 68) - अल्लाह को ना मानने पुरूष और स्त्रियां जहन्नम के आग मैं जलेगी. और जहन्नम मैं सदा ही रहेंगे 24) (सूरा 5 अल-माइदा :आयत 14) -ईसाई लोगो के बीच मैं शत्रुता और द्वेष की भावना भड़का दो. वो इस्लाम के शत्रु है 25) (सूरा 3 अल-ए-इमरान आयत 28) - अल्लाह को ना मानने वालो को अपना मित्र ना बनाओ. औऱ जो ऐसे लोगो को अपना मित्र बनायेगा वो उसका अल्लाह से कोई संबंध नही रहेगा 26) (सूरा 8 अल-अनफाल आयत 7) - अल्लाह को ना मानने वालों की जड़े काट दो 27) (सूरा 8 अल-अनफाल आयत 13) -जो कोई अल्लाह और कुरान का विरोध करने वालों को कठोर यातना दो 28) (सूरा 8 अल-अनफाल आयत 14) - अल्लाह को ना मनाने वालो को आग मैं झोंक दो. . 0 0 2022-08-24 05:42:06